यह कंपनी देश में 60 फीसदी से ज्यादा कच्चे तेल का उत्पादन करता है। आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी के पास मात्र 504 करोड़ रुपए कैश रिजर्व और बैलेंस रह गया है। मार्च 2018 में यह गिरकर 1013 करोड़ पर पहुंचा था। आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 में ओएनजीसी का कैश एंड बैलेंस रिजर्व 9,511 करोड़ था। उससे पहले यानी मार्च 2016 में यह आंकड़ा 9,957 करोड़ था यानी चार सालों में कैश रिजर्व में 9007 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई है।
नई दिल्ली। आठ महारत्न कंपनियों में शुमार तेल एवं प्राकृतिक गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (हृलष्ट) इन दिनों नकदी संकट से जूझ रहा है। आलम यह है कि चार सालों में कंपनी के कैश रिजर्व में 9000 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमी आ गई है। कंपनी के अन्य बैंक बैलेंस में भी कमी दर्ज की गई है। यह कंपनी देश में 60 फीसदी से ज्यादा कच्चे तेल का उत्पादन करता हैआंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी के पास मात्र नर्न और बैलेंस रह गया है। मार्च 2018 में यह गिरकर 1013 आ था। आंकड़ों के ताजित मार्च 2017 में ननीशी का वै ट बैलेंग रिजर्व 9,511 करोड था। उससे पहले यानी मार्च 2016 में यह टा ००६7 कगेट था यानी चार सालों में कैश रिजर्व में 9007 करोड की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट ऑयल यह गिरावट आयल मार्क टिग कंपनी हिंदुस्तान पेटोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और गुजरात स्थित जीएसपीसी की हिस्सेदारी में शामिल दो सौदों की वजह से आई है। इन सौदों ने ओएनजीसी के नकदी भंडार का नुकसान पहुचाया था। हालांकि, सरकार की तरफ से कहा गया है कि ओएनजीसी के कहा गया है कि आएनजीसा क पास बैंक क्रेडिट्स और कैपिटल मार्केट्स के जरिए पर्याप्त नकदी भंडार हैं। पिछले छह वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2014 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में ओएनजीसी का उत्खनन कुओं पर खच लगभग 11,687 करोड़ रुपए से घटकर 6,016 करोड़ रुपए रह गया है। इतने वर्षों में यह गिरावट करीब 50 फीसदी है। यह गिरावट घरेलू क्रूड ऑयल के उत्पादन में आई गिरावट की वजह से है। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2011-12 में क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन 38.09 मिलियन मिट्रिक टन था जो वित्त वर्ष 2017-18 में घटकर 35.68 मिलियन मिट्रिक टन रह गया। हालांकि, ओएनजीसी द्वारा कुओं के विकास पर किया गया खर्च पिछले छह वर्षों में स्थिर रहा है। वित्त वर्ष 201314 में इस मद पर 8518 करोड रुपए खर्च किए गए जो पिछले पावन वित्त वर्ष में 9:362 करोड़ रुपए था। कंपनी के इनवेस्टमेंट हेड में भी आंशिक बदलाव देखने को मिलता है। वर्ष 2017-18 में मार्जिनल स्लिप (नॉन-करंट टन्हों इन्वेस्टमेंट) 84,882 करोड़ ; रुपए थी जो 2018-19 में 85312 करोड़ रुपए हो गया।